दिन भर ढेरो काम करके थका हुआ रमजानी शाही हरम के शाही कमरे में शाही बिस्तर शंहशाह के लिए लगा रहा था।
बिस्तर लगने के बाद थके हुए रमजानी को न जाने क्या सूझा वो शाही बिस्तर पर कुछ पलो के लिए ये सोच कर लेट गया कि किसी के आने से पहले उठ जायेगा। वाह क्या नरम मुलायम बिस्तर था, रमजानी की कल्पनाओ से परे।
कुछ तो थकन कुछ तो शाही बिस्तर की नरमाहट का असर रमजानी की आंख लग गई।
धार्मिक तकरीरे सुनने के बाद शंहशाह अपना कमरे मे निद्रा के लिए आया। अपने शाही बिस्तर पर रमजानी को सोता देख वो गुस्से से आगबबूला हो कर दहाड़ उठा। रमजानी जग कर डर से थर थर कांपते हुए शंहशाह के कदमो पर गिर कर रहम की भीख मांगने लगा किन्तु निष्ठुर शंहशाह ने पहरेदारो को बुला कर रमजानी को महल के बुर्ज से जमीन पर फेंक कर मारने का हुक्म दे दिया। रमजानी की अंतिम चीख कुछ पलो मे ही कंठ से निकलकर शाही बिस्तर पर लेटे शंहशाह के कानो मे घुसने से पहले अनन्त मे विलीन हो गई।
रमजानी शंहशाह अकबर का गुलाम था।
–सुधीर मौर्य