Sudheer Maurya & his Creation World…

मासिक पुरालेख: अप्रैल 2023

#छिताई

होश सँभालते ही जिस विषय ने मुझे सबसे अधिक आकर्षित किया वो इतिहास है और इतिहास में भी मैने उन पात्रों को सबसे ज्यादा अपने निकट पाया जो आक्रांताओं से संघर्ष में किसी भी प्रकार न डिगे या फिर जिन पर इतिहास आशिंक रूप से मौन बना रहा। जिनकी वीरता, त्याग और संघर्ष की कथा लोग जान न सके।

‘देवगिरि’ एक भव्य राज्य की राजधानी जिसकी विडंबना अलाउद्दीन खिलज़ी, मुबारकशाह खिलज़ी और मुहम्मद तुग़लक़ के राक्षसी राज में लगातार तब तक होती रही जब तक उसकी वास्तविक पहचान मिटाकर उसे दौलताबाद न बना दिया गया। देवगिरि से दौलताबाद बनने के मार्ग में शंकरदेव और हरपालदेव जैसे न जाने कितने वीर अपनी मातृभूमि पर बलिदान होते रहे।

देवगिरि ने जो अपने प्रिय युवराज शंकरदेव की पत्नी देवलदेवी का तुर्कों द्वारा हरण का दारुण दृश्य देखा तो इसी देवगिरि ने अपनी ही भूमि पर अपनी ही गोद में खेली राजबाला छिताई का एक तुर्क आक्रांता के साथ बलात विवाह भी देखा। उसकी विवशता और झरते अश्रु देखे।

प्रस्तुत उपन्यास की नायिका छिताई देवगिरि की वो अभागन राजकन्या है जिसके पिता रामदेव ने विवश होकर संधिस्वरूप उसे अलाउद्दीन खिलज़ी को समर्पित कर दिया।

दिल्ली के शाही हरम में अपने प्रेमी सौरसी के विरह में प्रतिदिन सैकड़ों दुखो को सहन करते हुए अपने जीवन की संध्या में विजयनगर जैसे साम्रज्य का सूर्योदय देखने तक ना जाने कितने घटनाक्रम की साक्षी है इस इस उपन्यास की नायिका – छिताई।

अलाउद्दीन खिलज़ी के क्रूर शासनकाल पर मैं पहले ‘देवलदेवी और ‘हम्मीर हठ’ नाम के ऐतिहासिक उपन्यास लिख चुका हूँ। अब उसी काल पर मैं अपना तीसरा उपन्यास ‘छिताई’ आप सबको भेंट करते हुए अत्यंत हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ।

आशा है आप सबको ये उपन्यास पसंद आएगा और देवि छिताई की आत्मा को भी संतुष्टि की प्राप्ति होगी।

महान ईश्वर को अपना सबकुछ समर्पित करते हुए आपका –

सुधीर मौर्य